वोटिन्ग का दौर समाप्त हो चुका है और अब केन्द्र मे सरकार बनाने के लिये भाजपा एवम कोन्ग्रेस नये सहयोगियो को टटोल रही है . कोइ भी दल या एलायन्स २०० की सख्या को लाघता नही दिख रहा है, ऐसी स्थिति मे एक - एक सान्सदो कि भुमिका महत्वपुर्ण हो जयेगी . परिणाम आने से पहले ही नये लोगो को पटाने कि कोशिशे तेज हो गइ है. मौजुदा तस्वीर साफ़ नही है पर दलो के स्वभाव और झुकाव से नयी स्थिति का आकलन किया जा सकता है. आने वाली केन्द्र कि सरकार चाहे जिसकी हो किन्तु गटःबन्दन का स्वरुप भविस्य कि राजनिति को आधार मे रखकर प्रारम्भ होगी , इसमे दलो के नफ़ा नुकसान कि गणितिय प्रक्रिया भी शामिल होगी. इस नये पोष्ट मे देश कि दलित पार्टियो और उनकी आगामी स्थितियो का अवलोकन करेन्गे .
मायावती , ब.स.पा. -
उत्तर भारत के दलित राजनिति कि मजबुत स्तम्भ और वर्तमान समय मे देश के सबसे बडे राज्य की मुख्यमन्त्री , आने वाली केन्द्रिय सरकार के बनने बिगणने मे इनकी भुमिका निर्णायक होगी . तिसरे मोर्चे के नेताओ की अतिमहत्वाकाऩ्चा मोर्चे मे बिखराव का कारण ,अपनी स्वय की प्रक्रिति के कारण मोर्चे मे रह पाना असम्भव . प्रधानमन्त्री बनने के लिये अभी और इन्तजार करना पण सकता है .
राम बिलास पासवान और राम दास आटवाले जैसे अन्य दलित नेताओ को नापसन्द करती है, इनकी सोशल इन्जियरिन्ग मे दरार पडनी सुरु हो गइ है . ताज कोरिडोर और आय से अधिक सम्पत्ति के मामलो मे राह्त को लेकर केन्द्र मे एन. डी.ए. का समर्थन कर सकती है . ये कभी नही चाहेन्गी कि समाजवादी पार्टी केन्द्र मे बनने वाली सरकार का हिस्सा हो, मुलायम - अमर का कोन्ग्रेस प्रेम इन्हे यु.पी.ए. से दुर हि रखेगा . आने वाले दिनो ब.स.पा. को टुट से बचाये रखना इनके लिये सबसे बडी चुनोती है.
राम बिलास पासवान ,लो.ज.पा. -
बिहार के दलितो मे अच्छी साख के बावजुद अखिल भारतिय छ्बि बनाने मे असफ़ल .देश के सर्वाधिक योग्य दलित नेता .सत्ता कि अति लोलुपता के कारण इन्हे आज जहा होना चाहिये वहा नही है.पुर्व मे एन.डी.ए. के बिस्वस्त सहयोगी. लुक एन्ड वेट कि स्ट्रेटजी पर वर्तमान राजनिति, सत्ता प्रेमी ,एन.डी.ए. या यु.पी.ए. या कोइ भी जो सत्ता के करीब पहुचता दिखाइ देगा, उसी को समर्थन देन्गे. आपके पास मुन्गेरी लाल के हशीन सपने है पर कुछ करने लायक नही .पार्टी मे सान्सदो कि अधिकतम सन्ख्या ४ तक पहुचने कि सम्भावना . केन्द्रिय राजनिति मे मायावती का बडता कद और बिहार मे मायावती को दलितो का मिल रहा ब्यापक समर्थन , भविष्य मे चिन्ता का बिषय है.इनके लिये सबसे बडी चुनोती केन्द्र मे अपनी पुरानी स्थिति बरकरार रखना.
राम दास आटवले , आर.पी.आइ. -
मौजुदा यु.पी.ए. सरकार के घटक , केन्द्र मे उतने ताकतवर नही पर सन्ख्या कि गणित मे महत्वपुर्ण, पिछले पान्च सालो से मन्त्री पद हेतु प्रयासरत . इस वर्ष मन्त्री पद पाना लगभग तय .सत्ता सुख के लिये किसी के साथ जा सकते है, किन्तु यु.पी.ए. के साथ रहने कि अधिक सम्भावना . अखिल भारतिय दलित राजनिति मे भुमिका नगण्य.
शेष भाग अगली पोस्ट मे ........
Thursday, May 14, 2009
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment