अडिग मै शिला कि तरह
लहरो के थपेडो को सहने के लिये
प्यासो को , जल बन के बहने के लिये
मुझसे शान्त हो सके जो भूख किसी कि
तत्पर मै आहुति के लिये.
महिमामन्डित नही
बस पथिक
जिने कि राह पर जिने के लिये.
Thursday, July 30, 2009
Monday, July 13, 2009
Sunday, July 5, 2009
सस्ती गजले
:१:
छ्प गये कितने बयान कागज पर
बन गये कितने मकान कागज पर
जिस्मो पर जख्म कुरेदने वाले
बन गये कितने महान कागज पर
अब मिलने मिलाने की फ़ुर्सत किसे
सिमट गये कितने जहान कागज पर
:२:
गम थी और खुशी थी
एक बूद जिन्दगी थी
हमने बाटी आधी आधी
एक टुक जिन्दगी थी
न जाने कितने किताब लिखे गये
वही हम वही जिन्दगी थी
छ्प गये कितने बयान कागज पर
बन गये कितने मकान कागज पर
जिस्मो पर जख्म कुरेदने वाले
बन गये कितने महान कागज पर
अब मिलने मिलाने की फ़ुर्सत किसे
सिमट गये कितने जहान कागज पर
:२:
गम थी और खुशी थी
एक बूद जिन्दगी थी
हमने बाटी आधी आधी
एक टुक जिन्दगी थी
न जाने कितने किताब लिखे गये
वही हम वही जिन्दगी थी
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