Monday, January 12, 2009

साबास राजा पीटर , सिर्फ़ एक सब्द आश्चर्यजनक , एक छोटी सी कोसिस , एक छोटी सी नसीहत और सायद लोकतंत्र के देवताओ को दिया गया आखिरी मौका। २६११ ने हमारे लोकतांत्रिक देवताओ पर से हमारे बिस्वास को दूर किया है और एक ऐसे धरातल की पृष्ठभूमि तैयार कराने में मदद की है जिसकी मुद्दत से जरुरत महसूस होती रही है .२६११ के बाद एक बयां पढ़ा " राजनेता हमें बाटने का प्रयास करते है जबकि आतंकी हमें एकजुट करते है" , बहुत अच्हा लगा।

इन नेताओ ने हमें आजादी के बाद से ही बार बार बाटने का प्रयास किया है , कभी भासा के नम पर तो कभी मन्दिर मस्जिद के नम पर अपने हितों को पोषित किया है जो हमें बताया गया हमने उस पर बिस्वास किया, कभीभी हमने यह जानने का प्रयास नही किया की वहा अन्दर क्या हो रहा है लेकिन अब नही ।

२०वि सदी के उत्तरार्ध और २१वि सदी के पूर्वार्ध में हमानेकई हमलो को बर्दास्त किया है देस के निति नियंताओ ने कभी भारतीयों से ये नही पूछाकी भाई आप क्या चाहते है ? हमेसा उन अमरीकियों से पूचना और सलाह लिया जाना मुनासिब समझा गया , जिन्होंने हमेसा हमारे साथ दोगला बरताव किया ।

हमें बार बार बिकास की नदिया बहने के दावे के साथ बरगलाया गया ,मन्दिर मस्जिद और जातिवादी राजनीति ने हमें भावनातमक रूप से ब्लाक्मैल किया ,देस का बिस्वास देस के सर्वोचा पदों पर बैठे लोगो से उठ गया है ,हमारेखोये बिस्वास को संबल देने वाला कोई ब्यक्ति नही है सिवा ख़ुद हमारे हम बहुत टूटे हुए है और हमारे अन्दर बहुत गुस्सा है , अपने लोकतान्त्रिक देवताओ के प्रति .......

................अबकी हमें कई रजा पितेरो को पैदा करना है ..... राजनीति के ढोंगी गुरुओ के लिए ।

:२:

माया तेरे सासन का कितना करू बखान

जनता जाए भादमें हमें बढ़नी सन ।

राहुल बाबा देस के होंगे पालनहार

"भूसा खूब उगाइए" सपोर्ट करे सरकार ।

अपने प्यारे मनमोहन वैरी कुएत कुल

अम्रीका ने बना दिया इनको फुल्ली फुल ।

पैर पड़ा है कब्र में सपने हुए जवान

एल। के। बाबु बनाना चाहे पि एम् हिंदुस्तान।

कबीरा अपने देस की भावः भावना नस्त

नेता अफसर ब्यापारी सबके सब है भ्रस्त ।