Saturday, September 20, 2008

अथ बैंकुठं

खादी bही जिसको सूट न कर जाए बैठे बिठाये बल्ले बल्ले हो जाती है.और डोज गडबडाने पर मिया रिएक्शन हो जाए तोबंगारू लाक्स्मन की तरह कोई होई हल भी न पुचिगा साहब.खादी का महातम जिसके समझ में आया समझो की बिना नून तेल लगाये बैंकुठ की प्राप्ति कर ली। गुरु बैंकुठ तो कोई ऐसी वैसी चीज तो है नहिकी दये बाये हाथ मारा और मिल गई.त्रिसंकू को सुना ही होगा , बेचारे बिस्वामित्र की जिद का सीकर हो गए, लगे भेजने अपने तपोबल से त्रिसंकू को बैकुंठ , अब भइया माया मिली न राम्वाहा कोई बेकेस्यी होगी तो मिले न जगह। बिच में ही लटक कर रह गए बेचारे ।
आप ज्यादा परेसान न हो बकुंथ जाने के लिए, साहब ये कोई त्रेता या सतयुग तो चल नही रहा और न आप त्रिसंकू हो न हम बिस्वामित्र । गुरु कलयुग चल रहा है , कलयुग का बकुंथ तो हमारी संसद और बिधान्सभाये है .बिस्वास करे इस बकुंथ में जाने के लिए त्रिसंकू की तरह बढाओ का सामना नही करना पड़ेगा.बस आपके अन्दर कुछ योग्यताओ का होना अवास्वक है अपने चोरी वोरी के धंधे को सफाई से किया है तो भाई कोई बिसेस परेशानी नही होगी,थोड़ा झूठ बोलना अत होगा तो मासा अल्ला आप अल दर्जे के बैकुंठवासी होंगे । भाई साहब हम तो ठहरे बापू के देस के , अब हम तो हिंसा में बिस्वास करते नही ,मगर चार लोगोकम में मदद किया हो e अपने साथ होने चाहिए जिन्होंने यमराज जी महाराज के कम में मदद किया हो तो भाई क्या पुचने , ,,अपनी जन बचाना कहा का अन्याय है अपनी अदालते भी तो यही कहती है । और पैसा...?... अम छोड़ो भी इसकी फिक्र एपी न करो , कुछ एक्सपर्ट बैंकुठ वासी है जो इस समस्या का निदान कर देंगे ।
तो जनाब हो जाईये तैयार , दो चार खादी के कुरते को सिलवाए और कूदे संसद के चुनावी दंगल में , सब कुछ ठीक थक रहा तो साहब बैंकुठ सभा जरुर पहुचेंगे .आप तो बैंकुठ सुख भोगेंगे ही बैठे बिठाये नत रिश्तेदार भी आनंद प्राप्त करेंगे । और मिया आप लोगो से कुछ बच जाए तो इस खादिम को भी याद कर लीजियेगा .

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